"मातृभाषा : अभिव्यक्ति का स्वर"

"मातृभाषा : अभिव्यक्ति का स्वर"

मातृभाषा, भावों की नदी, ह्रदय की अंगा
जिसमें बहती है संस्कृति, ज्ञान की गंगा
माँ की गोद, प्यार की भाषा, पहली पहचान
जिसमें पिरोए हैं हमने सपने और अभिमान
आज मातृभाषा दिवस, भाषाओं का उत्सव
मिलकर करें सम्मान, भाषाओं का हर संभव
भारत की विविधता, भाषाओं में खिलती है
हिंदी, बंगाली, मराठी, हर भाषा में गूंजती है
उर्दू, पंजाबी, मलयालम, गुजराती, तेलुगु
ओड़िया, असमिया, हर भाषा में राष्ट्र रंग दूं
भाषाओं का सम्मान, राष्ट्र का सम्मान
भाषाओं का विकास, राष्ट्र का विकास
मिलकर करें प्रयास, भाषाओं को बचाएं
मातृभाषा का दीपक, सदैव जगमगाएं
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल
मातृभाषा, है जीवन का आधार
मातृभाषा, अबाध ज्ञान का द्वार
मातृभाषा, संस्कृति की पहचान
मातृभाषा, भावों का अभिव्यक्ति
आओ मिलकर करें मातृभाषा का सम्मान
आओ मिलकर करें मातृभाषा का ज्ञान
मातृभाषा, जीवन का प्रकाश
मातृभाषा, जीवन का विकास
मातृभाषा, को दें अनंत प्यार
मातृभाषा, है जीवन का सार
. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित 
 पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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