Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

अबके बसंत आया नहीं(शहीदों को समर्पित)

अबके बसंत आया नहीं(शहीदों को समर्पित)

डॉ सुमेधा पाठक

अबके बसंत आया नहीं!
दिल की बगिया वीरान पड़ी
मन आँगन सूना रहा
पुष्पविहीन डंठलों में
उलझ तितलियों के पंख कोमल
तार - तार हो गए
मकरंद रस ढूँढते
बेजार भँवरे
वीतरागी बन चले
आम्रवनों को कूच करती
कोकिल दिग्भ्रमित हो चली
रंग उड़े गुलाल सी
बासंती बयार सिसक उठी
पतझड़ की आहट ज्यों
एक और वीर शहीद हुआ !
मातृभूमि का सजग प्रहरी
वैरियों का करता मानमर्दन
हिम की चादर में बिछ गया
बसंतोत्सव के सपने बुनती
हर्षित सजल आँखें
चिरनिद्रा में लीन हुईं
फाग गाती प्रियतमा के
कंठ अवरुद्ध हुए सहसा
अश्रुसिक्त कमलिनी पर
चमचमाते ओस कण से
चंद आँसू ढुलक गए
विरहिणी की मरूभूमि में
अबके बसंत आया नहीं! 
डॉ सुमेधा पाठक
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ