काश!तुम हमें उतना ही समझ लेते

काश!तुम हमें उतना ही समझ लेते


डॉ रीमा सिन्हा काश!
तुम हमें उतना ही समझ लेते,
जितना कि हम तुम्हें समझ लेते हैं।
तुम्हारे मौन के शब्द रच लेते हैं,
तुम्हारी आँखों को पढ़ लेते हैं।
काश! तुम हमें उतना ही सोच सकते,
जितना कि हम तुम्हें सोच लेते हैं।
असीमित, अपरिमित सोच तुम्हारी,
सिर्फ 'तुम'की परिधि गढ़ लेते हैं।
काश! हम तुम्हारे दिल में उतने ही रहते,
जितना कि तुम मेरे दिल में रहते हो।
आलिंद,निलय सब पर राज है तुम्हारा,
हृदय के हर कोने में सिर्फ'तुम'बसते हो।
डॉ रीमा सिन्हा (लखनऊ )
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