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वांग्मय क्षितिज एक साहित्यिक उपवन रजि पंजाब की द्वितीय पाक्षिक गोष्ठी संपन्न|

वांग्मय क्षितिज एक साहित्यिक उपवन रजि पंजाब की द्वितीय पाक्षिक गोष्ठी संपन्न|

वांग्मय क्षितिज एक साहित्य उपवन की जनवरी माह की द्वितीय पाक्षिक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन निर्धारित समय पर हुआ। आज की गोष्ठी में तीन नये हस्ताक्षरों द्वारा (डॉ.कीर्तिवर्धन, मीनाक्षी शर्मा, काजल गल्होत्रा) अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई गई। कार्यक्रम का आरंभ आदरणीय डॉ गीता डोगरा जी और डॉ कैलाश भारद्वाज जी के आकस्मिक निधन के शोक संदेश के साथ भावपूर्ण श्रद्धांजलि से हुआ। गोष्ठी के क्रम को आगे बढ़ाते हुए डॉ विभा कुमरिया शर्मा ने समस्त साहित्य कारों का स्वागत अभिनन्दन करते हुए 2024 जनवरी माह को अनेक उपलब्धियों का संगम बताते हुए राम मंदिर निर्माण से धार्मिक आस्थाओं की जीत, सुभाष चन्द्र बोस जी के जन्मदिन को ऊर्जा प्रदान करने वाला दिन और गणतंत्र दिवस को राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बताते हुए सबको बधाई एवं शुभकामनाएं दी। डॉ.क्षमा लाल गुप्ता ने सरस्वती वंदना से वातावरण को शुद्धता प्रदान की । श्री फूलचंद विश्वकर्मा‌ जी ने कुशलतापूर्वक मंच संचालन का दायित्व संभाला।बाल रचनाकार प्रीतिका श्रीवास्तव ने अयोध्या में वापस आए हैं राम कविता, मीनाक्षी शर्मा ने नर से की पहचान सुनाकर सबके समक्ष ज्वलंत प्रश्न खड़ा कर दिया। डॉ तनूजा तनू ने स्थानीय साहित्य कारों के आकस्मिक निधन से प्रभावित होकर (जैसे सजती हूं वैसे ही मुझे आज भी सजाना) शब्दों के साथ भावपूर्ण रचना पढ़ी। डॉ.कीर्ति वर्धन जी ने अनुभव जन्य कविता सुनाई (अपेक्षा करना अच्छा नहीं लगता, कोई उपेक्षा करें यह भी अच्छा नहीं लगता।)कविता सुनाकर श्रोताओं में अपनी लेखनी की क्षमता का जादू चला दिया। काजल गल्होत्रा जी ने जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि शीर्षक से लघुकथा सुनाई। डॉ.क्षमा लाल गुप्ता ने बदलाव शीर्षक से लघुकथा सुना कर बेटा और बेटी के बीच के व्यवधान पर प्रश्न उठाया।( नववर्ष में हो नवसृजन, हे प्रभु आशीष देना) कविता के माध्यम से श्री फूलचंद विश्वकर्मा‌ जी ने नववर्ष के मंगलमय होने का आशीष मांगा। डॉ. विभा कुमरिया शर्मा ने वहां मत जाना शीर्षक से एक संस्मरण सुनाकर पंजाब के युवाओं में पश्चिमी देशों में जाने की धुन पर कटाक्ष किया। कार्यक्रम में दूसरी बार समय का सदुपयोग करते हुए डॉ तनूजा तनू ने मौत भी है एक पर्व ,त्योहार,एक उत्सव सुनाई तथा डॉ. कीर्ति वर्धन जी ने कैकेई और श्रीराम के संबंधों को जग प्रसिद्ध कथा के अतिरिक्त नया रूप देकर प्रस्तुत किया।
वांग्मय क्षितिज में आज की गोष्ठी में रचनाकारों ने अपनी क़लम और कल्पनाशीलता की अनुपम छटा बिखेरी। आभार प्रस्तुति के बाद कल्याण मंत्र के साथ साहित्यिक गोष्ठी का समापन हुआ।
संस्थापिका -
डॉ.विभा कुमरिया शर्मा।वांग्मय क्षितिज एक साहित्यिक उपवन रजि.पंजाब।
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