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गुरु पुष्य योग में किए जाने वाले कुछ विशेष प्रयोग

गुरु पुष्य योग में किए जाने वाले कुछ विशेष प्रयोग

हर हर महादेव!!
जैसा कि हम सब जानते हैं कि गुरुवार को यदि पुष्य नक्षत्र पड़ जाए तो उसे गुरु पुष्य सर्वार्थ सिद्धि अमृत योग के नाम से जाना जाता है। यह दिन अपने आप में सर्वश्रेष्ठ दिन होता है। इस दिन किया जाने वाला प्रत्येक कार्य सर्वश्रेष्ठ और शुभ फलदायक होता है। यदि यह गुरु पुष्य योग शुक्ल पक्ष में पड़ जाए तो और भी श्रेष्ठ हो जाता है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करके उनकी विशेष कृपा प्राप्ति करने का यह सर्वश्रेष्ठ दिन होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गुरु पुष्य योग में सोना, चांदी, वस्त्र, आभूषण वाहन, भूमि, भवन इत्यादि खरीदने का सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है। ऐसी मान्यता है की गुरु पुष्य योग में यदि सोना, चांदी, धातु इत्यादि खरीदा जाए तो उससे जीवन में धन की बढ़ोतरी होती है। माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह बिल्कुल सत्य है।

किंतु यहां सोचने वाली बात यह है की धन खर्च करके धन खरीदा जा रहा है। अर्थात् रूपए पैसे खर्च करके सोना खरीदा जा रहा है।

किंतु कुछ ऐसे भी शास्त्रीय प्रयोग हैं जिनमें धन खर्च करने की अपेक्षा साधना करके माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त की जाती है।

आइए ऐसे ही कुछ विशेष दिव्य महाप्रयोग के बारे में जानते हैं। इस वर्ष 2024 ई के फरवरी माह में 22 फरवरी गुरुवार को माघ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि में पुष्य नक्षत्र पड़ने के कारण शाम के 4:43 तक गुरु पुष्य योग का शुभ मुहूर्त बन रहा है। 4:43 के बाद पुष्य नक्षत्र समाप्त होकर श्लेषा नक्षत्र आरंभ हो जाएगा‌ अतः जितने भी शुभ प्रयोग करने हैं वह 4:43 के पहले ही किए जाने चाहिए। उसमें भी दोपहर 1:21 से चतुर्दशी तिथि आरंभ हो जाएगी। जिसके कारण पूर्ण रूप से गुरु पुष्य नक्षत्र का शुभ प्रभाव दोपहर 1:21 तक ही माना जाएगा। अर्थात् 22 फरवरी गुरुवार को दोपहर 1:20 तक ही या प्रयोग किया जा सकता है। जिससे माता महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है।

सर्वप्रथम 22 फरवरी गुरुवार को गुरु पुष्य योग में स्नान के जल में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

उसके बाद घर के दरवाजे के चौखट के दोनों तरफ पीले सिंदूर और घी से स्वास्तिक बनाएं।

गंध अक्षत पुष्प से उसकी पूजा करें और स्वास्तिक पर शहद अवश्य चढ़ाएं।

दरवाजे पर घी का एक दीपक जलाएं ।

घर के पूजा स्थान पर चांदी की कटोरी अथवा चांदी के दीए में तिल का तेल डालकर उसमें दो लौंग डालकर और बाती लगाकर दीपक जलाएं।

तुलसी जी के पौधे में दो बूंद दूध अवश्य चढ़ाएं और माता तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें।

एक घी का दीपक तुलसी जी के समक्ष उनके नाम से अवश्य अर्पित करें।

एक रोटी पर घी लगाकर उस पर गुड रखकर गाय को खिलाएं।

चावल में हल्दी मिलाकर घर के सभी सदस्य उसे स्पर्श करें और पक्षियों को दाना चुगने के लिए डाल दें।

इन सब प्रयोगों को करने के बाद अब विशेष प्रयोग करेंगे।

माता महालक्ष्मी को प्रसन्न करके उनकी कृपा प्राप्ति करने के लिए सर्वप्रथम एक घी का दीपक जला लें कर्म साक्षी दीपक के रूप में। अब पहले से तिल तेल का लौंग डाला हुआ दीपक जल रहा है वह अलग रहेगा। उसके अतिरिक्त एक घी का दीपक अवश्य जला लें। लाल वस्त्र धारण करें और एक वस्त्र धारण करें ।

अर्थात् एक ही वस्त्र जो सिला हुआ ना हो अर्थात् एक धोती धारण करें। स्त्रियां एकमात्र साड़ी धारण करें। उसके अलावा अन्य कोई वस्त्र धारण न करें। एक ही धोती को आधा कमर पर लपेट लें और आधा अपने कंधे पर रख लें। धोती लाल रंग की हो, केसरिया रंग की हो तो सर्वश्रेष्ठ। अब लाल रंग के ऊनी आसन पर उत्तर की तरफ मुंह करके बैठ जाएं और एक साबूत लौंग लेकर एक लाल धागे में लौंग को बांधकर अपने मस्तक पर उसे लाल धागे को ऐसे बांधे कि लौंग दोनों भौहों के बीच में अर्थात् आज्ञा चक्र पर जिसे हम तीसरा नेत्र भी कहते हैं वहां पर सीधी खड़ी हो और उस धागे को अपने सिर पर बांध ले।एकांत स्थान पर जहां किसी का आना-जाना ना हो, कोई किसी प्रकार की रोक-टोक ना करें ऐसे स्थान पर अथवा पूजा स्थान पर एकांत होकर बैठ जाएं।

पवित्रीकरण, भूमि पूजन करने के बाद हाथ में जल लेकर संकल्प करें। अपना नाम, गोत्र, तिथि, वार, नक्षत्र इत्यादि का नाम लेकर माता लक्ष्मी से धन प्राप्ति की कामना करते हुए संकल्प बोलकर उस जल को धरती पर छोड़ दें। उसके बाद हाथ जोड़कर क्षेत्रपाल देवता काल भैरव जी से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि ,"हे काल भैरव, मैं माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्ति के लिए यह प्रयोग करने जा रहा हूं अथवा जा रही हूं आप मुझे आज्ञा प्रदान करें।" थोड़ी देर आंख बंद कर यह महसूस करें की काल भैरव ने आज्ञा प्रदान कर दी है। उसके बाद स्फटिक की माला अथवा कमलगट्टे की माला पर माता लक्ष्मी का यह चमत्कारी बीज मंत्र "ओम् ह्रीं श्रीं नमः" मंत्र की कम से कम 11 माला अर्थात् 11 गुना 108 जाप कर लें। उसके बाद पुनः हाथ में जल लेकर माता लक्ष्मी से प्रार्थना करें कि "हे माता महालक्ष्मी, मैंने आपका यह जो बीज मंत्र का जाप किया, मैंने यह जो साधना किया। इससे जो पुण्य प्रकट हुआ, इस साधना से जो शक्ति उत्पन्न हुई उसे मैं आपके वाम हस्तकमल में अर्थात् आपके बाएं हाथ में समर्पित करता हूं अथवा करती हूं। आप इसे स्वीकार करें और जब-जब मुझे आवश्यकता पड़े इन्हीं पुण्यों से मेरी रक्षा करते हुए मुझे धन संपत्ति प्रदान करने की कृपा करें। ऐसा बोलकर माता लक्ष्मी के चित्र के बाएं हाथ की तरफ इस जल को छोड़ दें‌ फिर आसन के नीचे दो-चार बूंद जल गिरा कर उसे अपने नेत्रों पर लगाकर आसान छोड़कर उठ जाएं और आपने जो अपने सिर पर, अपने माथे पर लौंग बांधकर जो धागा बांध रखा था धागे सहित उस लौंग को तुलसी जी के गमले में मिट्टी के अंदर दबा दें। अब उसके बाद माता लक्ष्मी की आरती कर लें और माता लक्ष्मी से प्रार्थना करें कि अपनी कृपा बनाए रखें। यह प्रयोग अत्यंत श्रेष्ठ प्रयोग माना जाता है और इसका चमत्कार 7 दिनों के अंदर दिखने लगता है। आप इसका प्रयोग करके इसका लाभ उठाएं और जब-जब गुरु पुष्य नक्षत्र, गुरु पुष्य योग बने तब तब इन प्रयोगों को करके माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

इति शुभमस्तु!! कल्याण मस्तु!!
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