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हरे पीड़ा व बांटे सुख उसे श्रीराम कहते हैं

हरे पीड़ा व बांटे सुख उसे श्रीराम कहते हैं

फेसर थानान्तर्गत बाकन गांव में भगवान सूर्यनारायण मंदिर की पहली वर्षगांठ पर सूर्य नारायण विकास समिति द्वारा भव्य कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता औरंगाबाद जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री धनंजय जयपुरी तथा संचालन व्यंग्य के सिद्धहस्त कवि विनय मामूली बुद्धि ने किया। सर्वप्रथम आयोजकों द्वारा आगत अतिथियों का पुष्प हार, अंग वस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह द्वारा सम्मानित किया गया,तदुपरांत आयोजन समिति के अध्यक्ष श्रीकृष्ण सिंह उर्फ़ महात्मा जी ने स्वागत भाषण दिया।
कवि-सम्मेलन की शुरुआत करते हुए हिमांशु चक्रपाणि ने बड़े ही मधुर स्वर में सरस्वती-वंदना प्रस्तुत किया, तदुपरांत एक मुक्तक पढ़ते हुए कहा-"हो जिसके सारथी माधव उसे किस बात का भय है, समर्पित कर दिए भगवान को तो जीतना तय है. वहां पर चक्रपाणि मार्गदर्शक थे धनंजय के, यहां पर मार्गदर्शन चक्रपाणि के धनंजय हैं."
बनारस से पधारीं कोकिलकंठा पूनम श्रीवास्तव ने काव्य-पाठ के दौरान कहा-" मैं काशी की हूं बेटी प्रीति का उनमान लिख दूंगी, मैं कांटो की कलम से फूल की मुस्कान लिख दूंगी."
व्यंग्य विधा में पारंगत मगही कवि रणजीत दूधू ने अपनी कविता की प्रस्तुति देते हुए कहा कि- "बुढ़िया मांगे रंगीन फोटो, बुढ़वा बायोडाटा, भीतर से बोल रहल पुतोहिया नए हो घर में आंटा" कवि दूधू की इस प्रस्तुति पर जमकर तालियां बरसीं।
अनिल अनल ने अपने देशभक्ति गीत के माध्यम से श्रोताओं- दर्शकों के मन-मानस को राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत कर दिया.
कवि नागेंद्र केसरी की भावपरक कविता- "इक नन्हा बच्चा सोया था, मीठे सपनों में खोया था" पर उपस्थित जनसमूह भाव विभोर हो गया और तालियों की बौछार हो गई. अध्यक्षीय उद्बोधन के दौरान धनंजय जयपुरी द्वारा पढ़े गये मुक्तक की पंक्तियां-" जहां हो वास ईश्वर का उसे हम धाम कहते हैं,पड़े गर्दिश में कोई तो विधाता वाम कहते हैं. करे वापस विजित लंकापुरी जो स्वर्ण से निर्मित, हरे पीड़ा व बांटे सुख उसे श्रीराम कहते हैं" पर पूरा परिसर श्रीराममय हो गया।इस अवसर पर अनु कुमार सिंह, रामरूप सिंह, अरविंद सिंह, सोनू कुमार सिंह, रानू कुमार सिंह, गोपाल सिंह (महात्मा जी) सहित सैकड़ों बुद्धिजीवी व साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
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