अगर एक रंग ही हो जिन्दगी

अगर एक रंग ही हो जिन्दगी

अगर एक रंग ही हो जिन्दगी, नीरस सी हो जाती है ज़िन्दगी।
काले के सामने सफेद रंग, सफेद का सार बताती है ज़िन्दगी।
कभी कसैली तो कभी खारी, कभी मीठी चरपरी स्वाद आता,
खट्टे का स्वाद चख कर ही, चटपटी सी हो पाती है ज़िन्दगी।
है प्रकृति यह रंग बिरंगी सी, एक रंग होती तो मन भर जाता,
सावन का अन्धा हरा बोलता, रेगिस्तान सी हो जाती जिन्दगी।
चुनौतियां सामने तो जोश आता, जिन्दगी को जीना भी भाता,
चौराहे पर रास्ता चुनना, मन्जिल पर तब पहुंचाती है ज़िन्दगी।
कसमें वादे शिकवे शिकायत, अपनों से होते अन्जानो से नहीं,
अपनों से प्यार- बेरूखी, सबकी पहचान कराती है ज़िन्दगी।
अकेले रहना तन्हां नहीं होता, मजबूरी में भूखा व्रत नहीं होता।
व्रत में व्यंजन चुनने- खाने की आज़ादी, समझाती है ज़िन्दगी।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धनहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ