मेरा क्या है दोष

मेरा क्या है दोष

गीत गजल कविताएं,
मैं लिखता हूँ ।
गीत मिलन के भी,
जो मैं गाता हूँ।।


गीत मिलन की के मैं,
गा के सुनता हूँ।
प्रेम रस बरसाता हूँ,
मैं अपने गीतों से।
सोई मोहब्बत जगाता हूँ
लोगों के दिलो में।
मंत्रमुक्त हो जाते हैं,
गीत मेरे सुनके।
दिलमें बसा लेते है,
प्रीत मुझे समझकर।।
गीत गजल कविताएं,
मैं लिखता हूँ ।


लोगों की दीवानी का,
माहौल कुछ ऐसा है।
लवयू लवयू चिल्लाकर,
माहौल बनाते है।
फिर धीरे से मेहबूबा को,
वो किस कर लेते है।
और लोग इसके लिए,
बदनाम हमें करते है।
क्योंकि प्यार मोहब्बत के,
गीत मैं जो गाता हूँ ।।
गीत गजल कविताएं,
मैं लिखता हूँ ।


कितनों को मेहबूबा, मिल जाती।
कितनों की दुनिया, बस जाती।
कितनों के दिल, मचलने लगते।
सुनकर प्यारे प्यारे गीत मेरे।।
क्योंकि गीत गजल मैं लिखता हूँ।।


अब तुम ही बतलाओं लोगों
मेरा क्या है दोष इसमें।
नई उम्र के युवा युवती
सुनते है जब ये गीत।
तो दिलके अंदर उनके
जल उठते है दीप।
और डूबने लगते है
फिर प्यार सागर में वो।
गीत गजल कविताएं,
मैं लिखता हूँ ।
गीत मिलन के भी,
मैं जो गाता हूँ।।

संजय जैन "बीना" मुंबई
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