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कान्हा से प्रित।।

कान्हा से प्रित।।

पूनम गुप्ता
कान्हा से प्रित।।
केसरिया तेरी प्रीत रे कान्हा।
पा जाऊं तो तर जाऊं।
तेरी तिरछी कजरारीं ,
अंखियों से सुध बुध खोंई,
बन बन फ़िर फिर थाकी मैं,
क्यों दर्शन ना पाऊं,
केसरिया तेरी प्रीत रे कान्हा,
पा जाऊं तो तर जाऊं,
स्वास स्वास धुन राधेश्याम
दोहराऊं,
तेरो नाम जपन से ये केसर,
महकाऊं,
केसरिया तेरी प्रीत रे कान्हा,
पा जाऊं तो तर जाऊं।पा जाऊं तो तर जाऊं।
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