आज की खुशी कल पर हम क्यों रखे उधार

आज की खुशी कल पर हम क्यों रखे उधार

डॉ बीना सिंह*रागी*
आज की खुशी कल पर हम क्यों रखे उधार
आज तो आज है कल का हम क्यों करें इंतजार
बनाए रखें हम क्यों जीवन में दुख दर्द का दरबार
बांटना है तो बांटो सिर्फ प्यार ही प्यार
परिस्थितियों अनुकूल हो या प्रतिकूल ना करें तकरार
हार कभी बन जाती जीत तो जीत कभी बन जाता है हार
निंदा पर निंदा पर चिंतन का करें हृदय से बहिष्कार
तब कहीं अंतस में होगा हर्ष का आविष्कार
काली विभावरी रात में तारे नहीं करते प्रतिकार
दो गज भूमि 2 गज कफन का है बस दरकार
लोभ दम्भ अकड़ घमंड और अहंकार
त्याग कर इन सबको होता है जीवन साकार
डॉ बीना सिंह*रागी*
छत्तीसगढ़

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