आइना
मेरे आइने मेंकेवल मेरी ही छवि दिखाई देती है।
कोई दूसरा भी यदि उसमें झाँक कर देखता है
उसे भी उसमें मेरी ही छवि दिखाई देती है।
यह आइना मेरे बिना भी मुझे अंकित करता रहता है।
मैं सिर्फ इसका द्रष्टा हूँ,
स्रष्टा नहीं।
यह आइना बहुत दूर तक देखता है
किंतु मैं अपनी दृष्टि की सीमा तक ही देख पाता हूँ।
मेरी छवि के साथ
उसमें मेरे अतीत का प्रतिपल दिखाई देता है
और कभी - कभी उससे भविष्य भी छाया की तरह गुजर जाता है।
मेरे आइने में केवल मेरी ही छवि दिखाई देती है
आइना जानता है मेरी विराटता
किंतु मैं खुद को अपनी दृष्टि की सीमा तक ही देख पाता हूँ।
इस आइने में मैंने अपना आकाश देखा है
इसमें अपना महासागर देखा है
अपनी धरती देखी है
अपना पाताल देखा है।
यह आइना मेरी हथेली में है
किंतु कितना विशाल विराट विभ्राट है यह आइना !
यह मुझमें है
मैं इसमें हूँ।
यह छोटा सा विशाल आइना
मुझे सतत प्रतिपल
प्रतिबिंबित करता रहता है।मदनमोहन तरुण
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