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चक्र को भेदना पड़ेगा


चक्र को भेदना पड़ेगा

फुर्सत हो या काम हो
नहीं रहता अब ध्यान।
करें तो अब क्या करें
नहीं आता कुछ समझ।
कितनो से नाता है जोड़ा
कितनो ने नाता है तोड़ा।
फिर भी जीवन जीने का
हमने मोह नहीं छोड़ा।।


ये संसारी चक्र अब
इसी तरह से चलेगा।
जीना मरना अब तुम्हें
इसी अनुसार समझना पड़ेगा।
न कोई साथ देगा और
न कोई साथ जायेगा।
बस जिंदगी जीने का
तुम्हें अंदाज बदलना पड़ेगा।।


बदले बदले से लोग लगते है
तब अपने भी गैर लगते है।
ये जमाना भी ऐसो का है
जो हर वक्त रंग बदलता है।
बुरे वक्त में छोड़ जाते है
अच्छे वक्त में चिपते है।
सच में जमाने की एक
सच्ची तस्वीर दिखाते है।।


इतना सब कुछ देख लिया
इस कलयुग में जो हमने।
फिर भी जीवन जीने का
नहीं छोड़ा हौसला हमने।
आयु जितनी लेकर आये
उतना जीना हमको पड़ेगा।
संसारी चक्र के चक्र को
हमको जीतना पड़ेगा
हमको भेदना पड़ेगा।।


जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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