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वेलेंटाइन गीत

वेलेंटाइन गीत

ज्योतीन्द्र मिश्र
चले आना तुम्हें है मेरी कसम
हम पुकारा करेंगे जनम जनम
तोड़कर सोन पिंजड़ा चले आना तुम
छोड़कर जग का मुजरा चले आना तुम
चांदनी में नदी के किनारे वहां
हम निहारा करेंगे जनम जनम
ना मिले तुम तो मुझको कोई गम नहीं
प्यार मेरा ये होगा कभी कम नहीं
वायदों के सहारे यूं ही बैठकर
हम गुजारा करेंगे जनम जनम
देह की दूरियाँ कोई दूरी नहीं
प्यास किसकी रही है अधूरी नहीं
फूल बनकर तू खिलना चमन में मेरे
हम सँवारा करेंगे जनम जनम
तुम न आई तो होगी रुसवाईयां
तेरी चुगली करेगी तन्हाईयाँ
आरजू है कि दिल में आकर रहो
हम दुलारा करेंगे जनम जनम  
ज्योतीन्द्र मिश्र
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