नहीं दिखती है

नहीं दिखती है

---: भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'---
सदन में
बैठे लोगों को
नहीं दिखती है
जनता की लाचारी
जब जनमत पाये लोग
बन जाते है माननीय
तब देखते बनती है
जन-जन की पीड़ा पर
उनकी हंसी कमनीय
भाव बदलते भंगिमा सारी
नहीं दिखता है उसे
सड़कों का जन सैलाव
फटेहाली का आलम
और जीवन का अभाव
और ये बेरोजगारी
छीन ग़रीबों का निवाला
भारत भाग्य विधाता
लूटकर सरकारी धन
जरा नहीं पछताता
स्वयं को सारी सुविधा
और जनता की हकमारी
ये सदन में बैठे लोग
दे रहे हैं लोकतंत्र को धक्का
और पैदा कर रहे हैं रोज
नये-नये चोर उचक्का
तबाह है तंत्र देख कारगुजारी
----------------------------------------वलिदाद,अरवल (बिहार)८०४४०२
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