महिला दिवस
नारी की मुक्ति का मतलब, क्या नग्नता कहलाता है,आधुनिकता का मतलब, उन्मुक्त व्यभिचार बन जाता है?
नारी ही क्यों फैशन में, तन से कपडे कम करती है,
नारी खुद गर्भपात करा, क्यों नारी का शोषण करती है?
नारी मुक्ति की पहचान हो कैसे, इसका अर्थ बता डालो,
कौन पैमाना कौन तराजू, हमको भी समझा डालो?
माँ बहन बेटी कहलाना, क्या नारी की पहचान नहीं,
क्या देवी सा मान मिले, इसमें नारी की शान नहीं?
हाथों में कृपाण थामना, क्या नारी की पहचान यही है,
क्या नर मुंडो की माल पहनना, दुर्गा की बस शान यही है?
लक्ष्मी सरस्वती और पार्वती, जगत जननी माँ कहलाती हैं,
विनम्रता सौम्यता और त्याग की, ये ही देवी कहलाती है।
जब कोई टकराता राक्षस, ये ही दुर्गा बन जाती है,
पापियों का दामन करने को, चामुंडा भी बन जाती है।
आधुनिकता की दौड़ में आकर, मत नारी का अपमान करो,
पच्छिमी सभ्यता के भंवर में, नग्नता का मत गुणगान करो।
शिक्षित हो भारत की नारी, ऐसा कुछ तुम काम करो,
स्वाभिमान से चढ़े शिखर पर, मुक्ति का अभियान करो।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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