आम वृक्ष पर बौर पलेगा, कोयल कूके शोर मचेगा,
शीतल मन्द हवायें होंगी, शिशिर ऋतु का अंत मनेगा।खेत खेत में सरसों फूली, गेहूँ की बाली झूमे़ंगी,
हर किसान प्रसन्न होगा, जब अन्न का भंडार भरेगा।
मकरन्द तलाश तितली घूमें, कलियों को भौंरे चूमे,
नवसृजन की आस जगेगी, पिया मिलन जब होगा।
त्योहारों का समय आ रहा, होली उन्माद छा रहा,
कन्या पूजन घर घर होगा, नववर्ष सखी तब होगा।
माँ शारदे का वन्दन, प्रकृति का करें अभिनन्दन,
पीत पत्र तब झर जायेंगे, बंजर में नंदन वन होगा।
फूलों से रंग चुराएं तितली, भौंरे कलियों को चटकाएं,
घूम रहे घर आँगन उपवन, बसन्त आगमन तब होगा।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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