ज़रा भी सलवटें आईं,तो, बस बदल डालो,
जहाँ में हो गए, रिश्ते भी चादरों की तरह।नज़रें मिलाकर भी, वो बातें नहीं होतीं,
दिलों में दर्द है, पर आँखें नहींं रोती।
मोहब्बत के नाम पर, बस दिखावा करते हैं,
वफ़ा की कसमें खाकर, वो धोखा देते हैं।
ख्वाबों को सजाकर, वो हकीकत बनाते हैं,
उम्मीद तोड़कर, वो ज़िंदगी भर रुलाते हैं।
दिल टूट जाता है, जब सपने टूट जाते हैं,
आँसू निकलते हैं, जब एहसास मर जाते हैं।
ज़िंदगी की चादर, ग़मों से सनी हुई है,
हर पल दर्द से, आँखें नम हो रही हैं।
उम्मीद की किरण, अब भी दिखाई देती है,
शायद एक दिन, खुशी भी आएगी।
दिल की आवाज़ सुनकर, चलना होगा आगे,
ग़मों की चादर को, हटाना होगा आगे।
ज़िंदगी की जंग में, हार नहीं माननी है,
हर मुश्किल का सामना, करना होगा आगे।
. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित
पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com