जातिगत जनगणना कारण और निवारण
इतिहास के पन्नों में अंकित है कि अंग्रेजी सरकार ने पहली बार 1931 मे जाति आधारित जनगणना कराया था।
स्वतंत्रता के बाद अंग्रेजों की पोषक राजनीतिक दल कांग्रेस ने जाति आधारित जनगणना कराया था। दोनों बार मात्र एक ही उद्देश्य था। मुस्लिम तुष्टिकरण।
परिणाम भी सामने आया। पहली बार मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण मां भारती को दो भागों में बांट दिया गया।
दूसरी बार मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण कांग्रेस केंद्र से लेकर राज्यों में सत्ता से वेदखल। होती गई।
विनाश काले विपरीत बुद्धि कहावत गलत नहीं है,को चरितार्थ करते हुए बिहार में लालू के दवाब में नीतीश सरकार ने मुस्लिम तुष्टिकरण को नया धार देते हुए जातिगत जनगणना कराकर आंकड़े भी सार्वजनिक कर दिया। था
आंकड़ों को ही माना जाए तो यह स्पष्ट परिलक्षित होता है कि हिंदू की जनसंख्या में एक प्रतिशत की गिरावट आई है और मुस्लिम समाज कीआवादी एक प्रतिशत बढ़ी है।
हिन्दू में लालू यादव की जाति में इजाफा हुआ तो नितीश की लव कुश की जनसंख्या पर लालू यादव की जाति भारी पड़ने लगी।
लालू की पार्टी जातिगत कार्ड खेलने और मुस्लिम तुष्टिकरण में अब्बल है। अब नीतीश जी पर अपना ही दांव भारी पड़ने जा रहा है। है सकता है कुछ महीने बाद नीतीश का नाम लेने वाला कोई नहीं बचेगा। क्योंकि जिस आर जेड ई को तोड नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी बनाया था। उसपर लालू प्रसाद यादव की नजर थी। पर नीतीश कुमार ने शायद इसे भांप लिया था। और अपनी पार्टी को बचाने के लिए भाजपा के साथ आ गये।
सबसे अहम् प्रश्न तो यह भी है कि जब जाति का नाम पूछा जाना अपराध की श्रेणी में आता है तो सरकार जातिगत जनगणना कराकर क्या अपराध नहीं की? सरकार में बैठे मुखिया पर कार्रवाई नहीं कर क्या न्यायपालिका कठघरे में आज नहीं खड़ी है?
संसद में ब्राह्मण समाज में पैदा हुआ जयचंद ठाकुर समाज पर कुठाराघात कर रहा था।
उस समय सभी सांसद चुप थे मानो वो उस जयचंद का समर्थन कर रहे हो। और बाद में दल के सुप्रीमो ने हौसला बढ़ाया। और टूट गई स्वर्ण एकता।
यदि हम तलवे चाटते और जूता ढोते रहेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब हम पुनः मंगोल हो जाएंगे।
आज तथा कथित आचार्य जो सच में आचार हैं वो यहुदी को आज अपना आदर्श मानते हुए जी रहे हैं कल वो यह न कह दें हम मुगलों के वंशज हैं। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं होगी।
हमें ऐसे जयचंद से बचना होगा। हमें ऐसे धर्म भ्रष्ट, बुद्धि भ्रष्ट, से दूर रहना होगा।
क्योंकि पता नहीं इतिहास के किस पन्नों पर अपने विचार अंकित कर दें और अपने वाली पीढ़ी उसे सही मान ले
जितेन्द्र नाथ मिश्र कदम कुआं, पटना
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