जिधर देखो मतलब का बोलबाला हो गया है।
मतलबी दुनिया में सब अपनापन खो गया है।।हम प्रेम से मिलने आते हैं, तुमआश लगाए रहते हो ।
तुम पुछते हो उपहार कहाँ, हम पुछते हैं तुम कैसे हो।।
हम छूंछे हैं तो पुछ कहाँ, जितना भी गाढ़ा नाता है।
उपहार चढ़ावा दिए बिना, कोई रिश्ता नहीं सुहाता है।।
जितना कीमती उपहार मिला, दिल को वहीं भाता है।
खाली हाथ रिश्ते वाला, अब कहीं न पुछा जाता है ।।
बिन पैसे कोई मोल नहीं, सब पैसे का ही नाता है ।
सब नाता रिश्ता लुप्त हुआ, पैसा हीं अब सब नाता है।।
जय प्रकाश कुवंर
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