Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

रंगो का है खेल

रंगो का है खेल

मैं राही चंचल हूँ
चलना मेरा काम।
जीना मरना सीख लिया
देखकर सबका हाल।
न कहता न सुनता
बस देखता ही रहता।
और सपनो की दुनिया
खुली आँखो से देखता।।


मंजिल का है नहीं पता
फिर भी चले जा रहा हूँ।
गीत मिलन के मानो
गाये जा रहा हूँ।
सुख दुख की परिभाषा
समझे जा रहा हूँ।
बिना लक्ष्य के मंजिल
पाये जा रहा हूँ।।


मैं हूँ एक लेखक कवि
लिखना मेरा काम।
जो कुछ देखा हमने
लिखा उसे कलम से।
है कितनी रंगीन ये दुनिया
रंग बिरंग इसके लोग।
हर रंग का है मतलब
और रंगों का है खेल।।


जय जिनेंद्र

संजय जैन " बीना" मुंबई
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ