Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

परम्पराओं का निर्वाह हमें

परम्पराओं का निर्वाह हमें

कुछ आधुनिक बुद्धिजीवियों को लगता है कि परिवार की महिलाओं द्वारा होलिका का पूजन बेकार की चीज है, केवल कर्म से ही सब कुछ संभव है। हम सब जानते हैं कि भारतीय संस्कृति, सभ्यता, रीति रिवाज, व्रत त्यौहार सब कुछ वैज्ञानिक आधार पर आधारित है। कोई नहीं मानता यह उसका अपना कारण हो सकता है, मगर इसे बेकार कहे तो मेरा निवेदन है कि इन सभी का अध्यन करें तब प्रतिक्रिया दें।


परम्पराओं का निर्वाह हमें, संस्कृति से जोड़ता,
पुरखों के बनाये नियम, संस्कारों से जोड़ता।
खरा- परखा तजुर्बा है, विज्ञान कसौटी पर कसा,
रीति- रिवाज का पालन हमें, सभ्यता से जोड़ता।


नव ऋतु आगमन पर, त्योहारों का प्रारम्भ होता,
नई फसलों का आगमन, उत्सव प्रारम्भ होता।
ऋतु का संधिकाल हो, स्वास्थ्य पर पड़ता असर,
स्वस्थ तन मन बना रहे, नवरात्रों का प्रारम्भ होता।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ