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सुंदरता का वर्णन


सुंदरता का वर्णन

रात की चांदनी में दिलरुबा
चाँद सी लगती है।
चाँद सितारों के कारण
मेहबूबा चमकती है।
हवाओं के झोंको ने
उसकी जुल्फे बिखरी दी।
रूप उसका ये देखकर
दिल सबके धड़ उठे है।।
वदन उसका चंदन सा
रूप का तो कहना क्या।
ऊपर से रातरानी की
मंद मंद महक ने।
उसका यौवन रूप को
और भी निखर दिया।
मानो वसुंधरा ने धरा पर
अप्सरा को उतार दिया।।
पृथ्वी की अप्सरा को देख
इंद्र का मन डोल उठा।
छोड़ इंद्रलोक को वो
तुम्हें देखने आ गया।
फूल पत्ते पेड़ बाग के
सब के सब झूम उठे।
पक्षियों की ची ची ने
संगीत बजा दिया।।
स्वर ताल संगीत के
तो सब दिवाने है।
खूब सूरती के भी
लोग पूजारी है।
इसलिए मर मिटते है
आज कल हुस्न पर।
जो नजर आ रहा है
मोहब्बत के इस बाग में।।

जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई
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