ऐ नारी!

ऐ नारी!

दैवीय कृति!
तू महसूस कर
अपनी गरिमा संसार में
हर घर,हर रिश्ता हर क्षण
अधूरा है तेरे बिना!
तू झूम,तू नाच
पूरे आत्मविश्वास से
कि झूमने लगे तेरे साथ प्रकृति भी!
तू सिखा दे प्रेम करना
इस संसार को
कि तूने सदियों से सिखाया है
कभी माँ बन, कभी प्रेमिका
कभी पत्नी तो कभी बहन
कि लोग अब प्रेम करना
भूलते जा रहे हैं!
तू हर वो सवाल कर बेझिझक
जो तेरी आत्मा में
हिलोरे ले रहा है!
तू समर्थ,आत्मनिर्भर बन
उठा अपनी कलम
और स्वयं हस्ताक्षर कर
अपने चरित्र प्रमाण-पत्र पर...डाॅ मीनाक्षी गंगवार
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