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महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा बैंकॉक में संगीत संबंधी शोध निबंध प्रस्तुत !

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा बैंकॉक में संगीत संबंधी शोध निबंध प्रस्तुत !

  • भारतीय संगीत से सर्वंकष उपचार होते हैं ! - महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय
‘मंत्र, नामजप एवं भारतीय शास्त्रीय संगीत के रागों के माध्यम से सभी रोगों का उपचार होता है । इन प्राचीन, किसी भी प्रकार से हानि न करनेवाली उपचार विधियों का वैद्यकीय चिकित्सा में उपयोग किया जाना चाहिए, यह आवाहन मैं वैद्यकीय समूह से करता हूं ।’ यह कथन ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के श्री. शॉन क्लार्क ने किया । हाल ही में बैंकॉक, थाइलैंड में आयोजित ‘सेवेंथ ग्लोबल पब्लिक हेल्थ कॉन्फरेंस’ में श्री. क्लार्क ने यह कहा । उन्होंने ‘निरामय स्वास्थ्य के लिए, विशेष रूप से रक्तचाप पर केंद्रित संगीत के उपाय’ नामक शोध निबंध प्रस्तुत किया ।

इस शोध निबंध के लेखक ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले जी हैं और श्री. शॉन क्लार्क सहलेखक हैं । अक्टूबर 2016 से फरवरी 2024 तक महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ने 20 राष्ट्रीय और 93 अंतरराष्ट्रीय, ऐसे कुल 113 वैज्ञानिक परिषदों में शोध निबंध प्रस्तुत किए हैं । इनमें से 14 अंतरराष्ट्रीय परिषदों में ‘सर्वोत्कृष्ट प्रस्तुतिकरण’ का पुरस्कार मिला है ।’

उच्च रक्तचापवाले लोगों पर विभिन्न ध्वनियों के परिणामों का अध्ययन करनेवाले 4 परीक्षण प्रस्तुत किए गए । परीक्षण से पूर्व और परीक्षण के उपरांत उनमें भाग लेनेवाले लोगों के प्रभामंडल का ‘यूनिवर्सल औरा स्कैनर’ यंत्र द्वारा मापन किया गया और उनका रक्तचाप प्रचलित रक्तचाप मापन यंत्र से मापा गया । परीक्षण में भाग लेनेवाले लोग परीक्षण से पूर्व 2 दिन और परीक्षण की रात्रि में रक्तचाप की औषधि न लें, ऐसा विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में निश्चित किया गया । दूसरे दिन सवेरे सभी परीक्षण पुनः किए गए ।

प्रथम परीक्षण में 5 व्यक्तियों को भारतीय संगीत में ‘राग गोरखकल्याण’ सुनाया गया । इसके उपरांत सभी व्यक्तियों के नाडी की गति 15 प्रतिशत से कम हो गई । दूसरे दिन सवेरे (72 घंटे रक्तचाप नियंत्रक औषधियां न लेते हुए भी) 5 में से 4 व्यक्तियों का रक्तचाप कम हुआ पाया गया । सभी व्यक्तियों के प्रभामंडल में नकारात्मकता लगभग 60 प्रतिशत से घटी हुई और सकारात्मकता 155 प्रतिशत से बढी हुई पाई गई ।

दूसरे परीक्षण में दो व्यक्तियों को ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ नामजप सुनाया गया । तीसरे परीक्षण में तीन व्यक्तियों को ‘ॐ’ बीजमंत्र की ध्वनि सुनाई गई । इन दोनों परीक्षणों के परिणाम पहले परीक्षण समान ही थे ।

चौथे परीक्षण में, 2 लोगों को ‘मार्कोनी’ म्यूजिक बैंड की विश्व प्रसिद्ध ‘तनाव-निवारक’ संगीत रचना ‘वेटलेस’ (Weightless) सुनने के लिए कहा गया । बाद में सभी व्यक्तियों का रक्तचाप कम पाया गया; परंतु धडकन बढ गई । अगली सुबह, दोनों का रक्तचाप और कम पाया गया । पिछले 3 परीक्षणों की तुलना में, चौथे परीक्षण में भाग लेनेवालों की नकारात्मकता में वृद्धि और सकारात्मकता में कमी पाई गई; क्योंकि ‘वेटलेस’ संगीत की रचना करने के लिए उपयोग किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, साथ ही इस रचना में असम्यक स्वर और ध्वनियां नकारात्मक स्पंदन उत्पन्न कर सकती हैं, ऐसा श्री. क्लार्क ने बताया ।

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