देखो; जनते!मत दुत्कारो
श्री मार्कण्डेय शारदेय
तुम हो मेरी प्यारी गैया,मैं सवार हूँ ,तुम हो नैया,
तुम गोपी मैं कृष्ण-कन्हैया,
यह सम्बन्ध तोड़ दोगी, मर जाऊँगा स्वीकारो।
देखो;जनते! मत दुत्कारो।।
तुमको कष्ट हुआ है माना,
इसीलिए है बस; यह ताना,
तुमने सीखा है अपनाना,
फिर गलती वैसी न करूंँगा, सागर पार उतारो।
देखो; जनते! मत दुत्कारो ॥
भर दो मेरी खाली झोली ,
मनती रहे दिवाली-होली,
टोली-पर-टोली आए, पर उसकी बात बिसारो ।
देखो; जनते! मत दुत्कारो ॥
एकमात्र मैं सच्चा नेता,
नवप्रभात का प्राण-प्रणेता,
जाति-धर्म उत्थान –चहेता,
मुझे बनाकर पुनः विजेता, संचित स्वप्न सँवारो ।
देखो; जनते! मत दुत्कारो॥
पूर्ण करूंँगा मैं ही आशा ,
दिया करूंँगा कभी न झांँसा,
फेंको फिर वैसे ही पासा ,
दुश्मन के मुंँह में कालिख हो ,स्नेहिल नयन निहारो ॥
देखो; जनते! मत दुत्कारो ॥
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com