ऊँट पहाड़ के नीचे आया, लगता है,
चोरों पर कसा शिकंजा, लगता है।घूम रहे आरोप लगाते, आज भेड़िये,
कोई बना शिकार शेर का, लगता है।
शाकाहारी बता रहे हैं, भेड़िये खुद को,
पीड़ित निर्दोष बता रहे, भेड़िये खुद को।
मिली माँद में हड्डी उनकी, साज़िश कहते,
साज़िश का शिकार बताते, भेड़िये खुद को।
जंगली कुत्ते और गीदड़, भेड़ियों के साथ खड़े हैं,
शिकार का हक़ उनका, बस इसी बात पर अड़े हैं।
खिलाफ शेर के सभी शिकारी, लामबंद हो रहे,
लगे प्रतिबंध शेर के ऊपर, माँग लिये सड़क पड़े हैं।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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