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हो सके तो देश की आवाज बन।

हो सके तो देश की आवाज बन।

डॉ रामकृष्ण मिश्र
हो सके तो देश की आवाज बन।
तुम कपोतों के लिए मत बाज बन ।।


चालबाजी में महारत मत दिखा।
आम जन की भावना का व्याज बन।।


गड़े मुर्दों के न फूँको कान अब।
दुखी जन की वेदना का साज बन।।


बेतुके हो रहे हैं नारे सभी।
किसी अच्छे राग का अंदाज बन।।


समय बीता जा रहा यूँ ही अगर।
हौसले के साथ जन सरताज बन।।


खामियांँ कब गिन सकी है खूबियाँ।
क्रंदनों के बीच उनकी लाज बन।। **********रामकृष्ण
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