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मुझे तो बस तुम्हारी याद आई !

मुझे तो बस तुम्हारी याद आई !

(अर्चना कृष्ण श्रीवास्तव)
अजीब सी लहरें थी,
मिटी जिसमे रूलाई ।
मुझे तो बस---,
तुम्हारी याद आई ।
कहीं नफरत न थी,
न रंजिश की दुहाई ।
अनोखा दर्द सा था,
जब तेरी याद आई ।
न मेले शब्द के थे,
न मन की बेवफाई ।
न मिलना और बिछड़ना,
न पाने की दुहाई ।
कहीं कुछ पास सा था,
कही कुछ दूर सा था ।
कुछ तो इन सासों का
बहुत मजबूर सा था ।
जुडा नही, ना ही टूटा,
मुडा नही, ना ही छूटा ।
कभी सोचा न रूक कर,
गले से क्या लगाई !
मुझे तो बस ,तुम्हारी याद आई !
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