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"अश्कों से भीगे पन्ने"

"अश्कों से भीगे पन्ने"

हर शब्द में छुपा था एक दर्द,
हर आंसू में एक कहानी।
जैसे टूटे हुए दिल की धड़कन,
जैसे अधूरी प्रेम कहानी।


स्याही बन गई आँसू,
कलम बन गयी उंगली,
पन्ने बन गये थे दिल के टुकड़े,
जिन पर लिखी ज़िंदगी की कहानी।


उफनती भावनाओं का सागर,
ह्रदय में उमड़ता रहा।
क़लम डूबती रही,
स्याही का रंग फीका पड़ता रहा।


अश्कों से भीगे पन्ने पर,
यूँ लफ्ज़ सिमटते गए,
दर्द से बेहाल कलम,
और ज़ज़्बात पिघलते गए।


हर शब्द में छुपी थी एक कहानी,
हर लफ्ज़ में दर्द की ज़ुबानी।
टूटा हुआ दिल, बिखरी हुई ज़िंदगी,
अश्रुओं की नदी में बहती हुई कल्पना।


हर पल दर्द का एहसास,
हर सांस में ग़म का आवास।
फिर भी कलम ने हिम्मत नहीं हारी,
लिखती रही, वो अपनी कहानी।


अश्कों से भीगे पन्ने पर,
उम्मीद का दीप जलाता रहा।
एक दिन सूरज ज़रूर उगेगा,
और यह अंधेरा ज़रूर मिटेगा।


तब तक कलम लिखती रहेगी,
और ज़िंदगी आगे बढ़ती रहेगी।
नए शब्दों, नए लफ्ज़ों के साथ,
एक नया सफर, एक नया साथ।


. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित

पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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