इल्तजा सुन लो मेरी, ऐ जमाने वालों,
अपने बच्चों पर थोड़ा, अंकुश लगालो।बेटी को सिखा दो, तहजीब से रहना,
बेटों को इज्ज़त और संस्कार बता लो।
शान नहीं है बेटी का, यूँ नंगे घूमना,
आज़ादी के नाम पर क्लबों में नाचना।
बेटों का भी देर रात, घर से बाहर रहना,
मौज मस्ती के नाम, इज्ज़त से खेलना।
महिला की इज्ज़त करें, संस्कार पुरुष का,
अच्छे घर के बच्चों का, है यही सलीका।
मर्यादा में रहें, अपने घर के बेटे बेटियाँ,
भारत की संस्कृति का, यही है तरीका।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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