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गाँव गाँव में, शहर शहर में,

गाँव गाँव में, शहर शहर में,

आज होली का रंग बरसे।
कोई बिरहन आंसू बहाये,
पिया मिलन को तरसे।।
प्रियतम ने संदेशा भेजा,
ट्रेन पकड़ नहीं पाया।
गाड़ी का वो भीड़ देखकर,
मुझको खुब रुलाया।।
इस होली में लगता गोरी,
हम नहीं मिल पायेंगे।
अपने तन मन को रंगों से,
नहीं भिंगो पायेंगे।।
रही हमारी यह फीकी होली,
मन तुम दुखी न करना।
होली पर मेरा यह प्रेम संदेशा,
सीने से लगाकर पढ़ना।।
होली की शुभकामनाएं। 
 जय प्रकाश कुवंर
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