फागुन मास पूर्णिमा आता
फागुन मास पूर्णिमा आता।मन उमंग सबके ही छाता।
कहते आई है अब होली।
खेलें हम बनकर हमजोली।।
रंगों का अंबार लगा है।
अद्भुत यह बाजार सजा है।।
दिखती रंगबिरंगी दुनिया।
देख अचंभित ही है मुनिया।।
पिचकारी मोनू को भाया।
गोलू गुब्बारे भर लाया।।
लगा मुखौटा बबलू आया।
सबको उसने खूब डराया।।
रंगों की पड़ती बौछारें।
एक रंग में दिखते सारे।।
रंगों में सब रंग मिले हैं।
मुखड़े पर मुसकान खिले हैं।
मिलकर बच्चे हँसते गाते।
रंगों का त्योहार मनाते।।
पर्व वर्ष भर में यह आए।
प्रेम और सद्भाव बढ़ाए।
मन के द्वेष मिटाने वाला।
प्रेम रंग बरसाने वाला।
पावन है यह पर्व हमारा।
हर्षित हो जाता जग सारा।
रूणा रश्मि 'दीप्त'
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