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रंग बदलती दुनिया

रंग बदलती दुनिया

इस रंगीन दुनिया में कयी रंग भी देखें
गिरगिट की तरह रंग बदलते इंसान देखा
कभी सफेदी का लिवास में काला दिल
तो कभी रक्त रंजित चेहरा भी देखा
कभी लाल पीला होता इंसान देखा
कहीं धानी चूनर में छुपा सूर्ख गुलाबी गाल।
कहीं भुख से छटपटाता पीला बदन।
नहीं दिखा हरा रंग जहां खुशी की हरियाली थी
नहीं मिला तो होली का वह पक्का रंग
जिसमें कभी प्यार और समर्पण का भाव था ।


जितेन्द्र नाथ मिश्र

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