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आय गयो है फाग पिया

आय गयो है फाग पिया

रूणा रश्मि 'दीप्त'
पतझड़ से सूखी शाखों पर,
नवपल्लव ने मुस्कान दिया।
खेतों में सरसों फूलों ने,
भू को पीला परिधान दिया।
आमों के बौर हैं वृक्षों में,
बागों में कूके कोयलिया।
बहती पुरवाई हौले से,
मन जग का सबने मोह लिया।
खेलें मिल रंग गुलाल चलो,
अब आय गयो है फाग पिया।
चहुँदिस बिखरे जब रंग सजन,
देखे नयना हर्षाय जिया।
झोली भर लाय गुलाल तभी,
पिचकारी भरकर रंग लिया।
फिर डाला जो तूने मुझपर,
कोरी चूनर को रंग दिया।
रँग डाला तूने ये तन मन,
मुखमंडल मेरा लाल किया।
अवसर है खास बड़ा फागुन,
तुमको इसने बौराय दिया।
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