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जीवन यात्रा

जीवन यात्रा

उषा की प्रथम किरण ने दिया जीवन को उपहार,
सुरभित हुई वल्लरी,नव पल्लव का शृंगार।
भेद तिमिर के वात्याचक्र को विद्युत शिखा जली,
यात्रा यहीं से शुरू हुई यही बना जीवन आधार।
संयोग-वियोग का अद्भुत संगम है संसार,
रीति,नीति,ईर्ष्या-द्वेष और व्यभिचार।
स्निग्ध यादों की बदरी कभी है अंजन धार,
इस यात्रा की परिधि में ग्रह-नक्षत्र हैं शिल्पकार।
वरदहस्त रखा ईश ने जिसे मिली विमल वाणी,
सदगति को प्राप्त हुआ वो जिसने ईश महिमा जानी।
सुगम पथ का राही बनकर किया दीन पर उपकार,
सही मायने में यात्रा सफल वही,वही सच्चा हीरक हार।
जीवन रूपी कठिन यात्रा में मृत्यु अभिन्न अंग है,
उर स्पंदन में निस्पंद श्वासों का भी संग है।
मंजुल मुख की दीपशिखा सब मिथक आकार।
विशाल आरम्भ के अनन्त अंत को करना सबको पार।
डॉ रीमा सिन्हा
लखनऊ-उत्तर प्रदेश 
(स्वरचित )
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