Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

सात्त्विक वृत्ति के लोग आनंद, स्थिरता एवं शांति अनुभव करते हैं !- शॉर्न क्लार्क, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय


महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से बँकॉक में सकारात्मक स्पंदनों के महत्त्व पर शोधनिबंध प्रस्तुत !

सात्त्विक वृत्ति के लोग आनंद, स्थिरता एवं शांति अनुभव करते हैं !- शॉर्न क्लार्क, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय

‘सात्त्विक वृत्ति के लोग सकारात्मक सूक्ष्म स्पंदन निर्माण करते हैं, उत्तम गुणवत्ता के विचार करते हैं और आनंद, स्थिरता एवं शांति अनुभव करते हैं । इसके विपरीत, तामसिक वृत्ति के लोगों में व्यक्तित्व के दोष अधिक होते हैं और उनके मन में कम गुणवत्ता के विचार होते हैं । इसके परिणामस्वरूप उनमें नकारात्मक सूक्ष्म स्पंदन एवं तनाव निर्माण होता है’, ऐसा प्रतिपादन ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’के श्री. शॉन क्लार्क ने किया । हाल ही में बँकॉक, थायलैंड में संपन्न हुई ‘इंटरनैशनल कॉन्फरन्स ऑन हैप्पीनेस एंड वेल-बिईंग (ICHW2024)’ परिषद में श्री. क्लार्क बोल रहे थे । उन्होंने ‘सूक्ष्म सकारात्मक स्पंदन आनंदप्राप्ति की खोज को कैसे सक्षम बनाते हैं’ शोधनिबंध प्रस्तुत किया । इसके लेखक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी और सहलेखक श्री. क्लार्क हैं ।

अक्टूबर 2016 से फरवरी 2024 तक महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ने 21 राष्ट्रीय एवं 92 आंतरराष्ट्रीय, इसप्रकार कुल 113 वैज्ञानिक परिषदों में शोधनिबंध प्रस्तुत किए हैं । इनमें से 14 आंतरराष्ट्रीय परिषदों में ‘सर्वाेत्कृष्ट प्रस्तुतिकरण’ पुरस्कार भी मिले हैं ।

सूक्ष्म स्पंदन व्यक्ति पर सकारात्मक अथवा नकारात्मक प्रभाव कैसे डालते हैं, इस संबंध में किए गए कुछ परीक्षण श्री. शॉन क्लार्क ने प्रस्तुत किए । प्रथम परीक्षण में, व्यक्ति में मद्यसेवन करने के पश्चात ऑरा स्कैनर द्वारा किए गए परीक्षण से यह ध्यान में आया कि उनकी नकारात्मकता में वृद्धि हुई और सकारात्मकता कुछ ही मिनटों में ही पूर्णरूप से नष्ट हो गई । इसके विपरीत, नारियल पानी जैसे सात्त्विक पेय के सेवन के उपरांत व्यक्ति के आभामंडल पर तुरंत सकारात्मक परिणाम हुआ ।

द्वितीय परीक्षण में उन्होंने स्पष्ट किया कि रोगग्रस्त अवयव नकारात्मक स्पंदन कैसे प्रक्षेपित करते हैं । बचपन से ही त्वचारोग से (Eczema) ग्रस्त व्यक्ति के मुखमंडल से प्रक्षेपित होनेवाला नकारात्मक आभामंडल, केवल आध्यात्मिक उपचार करने से किसप्रकार लक्षणीय ढंग से कम हो गया ।

तृतीय परीक्षण में, 22 कैरेट सोने के 2 विविध नक्काशियोंवाले अलंकारों की सूक्ष्म स्पंदनों की दृष्टि से तुलना की गई । इस परीक्षण में भले ही दोनों हार सोने के थे, तब भी सात्त्विक नक्काशी (डिजाईन) के सोने के हार से सकारात्मक स्पंदन प्रसारित होते हैं, जबकि तामसिक नक्काशी का हार नकारात्मक स्पंदन प्रसारित करता है । श्री. क्लार्क ने आगे स्पष्ट किया कि हैवी मेटल समान संगीत सुनना और डरावने (हॉरर) चलचित्र देखना, इससे व्यक्ति के आभामंडल की सकारात्मकता पूर्णरूप से नष्ट हो सकती है । इसके साथ ही काला रंग सर्वाधिक तामसिक होने से काले रंग के वस्त्र परिधान करने से नकारात्मकता अधिक मात्रा में ग्रहण होती है ।

इन सभी परीक्षणों के निरीक्षणों के आधार पर श्री. क्लार्क ने निष्कर्ष बताया कि स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन प्रक्रिया, नामजप करना और आध्यात्मिक उपाय पद्धति, उदा. नमक के पानी में 15 मिनट पैर रखकर उपाय करना, इससे आभामंडल की सकारात्मकता बढाने और मन में उत्तम गुणवत्ता के विचार आने के लिए अत्यंत प्रभावी मार्ग है ।

हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ