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वाणी की चुभन

वाणी की चुभन

बहुत दर्द होता है
जब अपना कोई रूठता है।
दर्द दिल में और
आँसू आँखो से बहते है।
इंसान की फिदरत भी
इंसानो को दिखती है।
और गुस्से में वो फिर
अपनो को ही काटते है।।

समय हर वक्त मानों
एक सा नही होता।
कभी भाषा के कुछ बोल
दिलको बहुत चुभ जाते है।
अटल रहने वाला भी
यहाँ पर लड़ खड़ा जाता है।
और वर्षो के रिश्तो पर
कालिक पोत जाती है।।

बहुत भले बुरे कहने वाले
मिले मुझे जीवन में।
मगर वो भी विश्वास को
हिला तब नहीं पाये थे।
मगर वाणी के कालचक्र ने
हिलाकर रख दिया हमको।
और ह्रदय पर एक रेखा को
न जाने क्यों खिच दिया।।

जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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