भूखे नंगे से अब प्रेम कौन करता है ।
सुन्दर दिखने वाले भिखारी पर कौन मरता है ।।फीका पकवान अब किसी को नहीं सुहाता है ।
हाथ पीला करने के लिए, कमाउ खोजा जाता है ।।
अतीत की प्रेम कहानियाँ अब पीछे रह गयी।
अब तो बस कमाने वाला ही जैसा भी वर चाहिए।।
भोजन वो कपड़ा सब दिन जो जुटाते रहे ।
सुखमय जीवन के लिए अच्छा सा घर चाहिए।।
अब तो वो प्यार नहीं, जो भुखे पेट किया जाये।
पेट भरने पर ही प्यार अब मुख से निकलता है।।
लैला मजनूं की अब प्रेम कहानी रही नहीं।
अब पैसा कमाने वाले से ही, रास रंग चलता है।।
प्रेम के बाजार में, रूप का सौदा होता है।
आज केवल रूप पर मरने वाला, जीवन भर रोता है।।
सुन्दरता का नशा कुछ दिन में उतर जाता है।
पेट भरने की जरूरत उम्र भर रह जाता है।।
सुन्दर काया पर सजना संवरना भी जरूरी है।
सजने संवरने के लिए पैसा भी जरूरी है।।
सुन्दरता के साथ अब शिक्षा भी जरूरी है।
अच्छी शिक्षा के लिए, पैसा भी जरूरी है।।
शिक्षा प्राप्त कर कमाने का भी हुनर चाहिए।
सुखमय जीवन के लिए, सुगम कोई डगर चाहिए।।
अब वो दिन न रहा, एक कमाएगा सब खाएंगे।
अब सब कमासुत न हों तो, भूखे मर जाएंगे।।
आज रूप के साथ, सादगी और गुण जरूरी है।
सुन्दरता अस्थायी है, जीवन चलाना मजबूरी है।।
जय प्रकाश कुवंर
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