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नारी शक्ति निर्भिक और स्वच्छ

नारी शक्ति निर्भिक और स्वच्छ,

दूर करे तिमिर,राहें बनायें वलक्ष।
रणचंडी कभी ममता की मूरत,
कमतर ना आंको किसी के समक्ष।
अदम्य साहस की ये हैं साक्षात मूरत,
शोणित पान करें जो समझे इन्हें रतिलक्ष।
नवजीवन का आधार हैं इनमें,
कोई नहीं है इनके समकक्ष।
कर सकती सब असुरों का संहार,
इनके जैसा नहीं कोई लब्धलक्ष।
इनका अपमान करेगा धरा का सर्वनाश,
विद्युतकंकण हैं ये,घुमा सकती ग्रहों के कक्ष।
डॉ रीमा सिन्हा
(लखनऊ) 
स्वरचित
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