होली में आए राम ससुरारी
होली में ,होली में आए राम ससुरारी होली में ।
जनक दरबार छाई खुशियाॅं भारी होली में ।।
लखन भरत औ शत्रुघन आए ।
उर्मिला मांडवी श्रुतिकीर्ति हर्षाए।।
जनकपुर पाहुन धाए चारी होली में ।
होली में आए राम ससुरारी होली में ।।
माता जानकी शर्म में छुपी हैं ।
उर्मिला मांडवी श्रुतिकीर्ति रूकी हैं ।।
सजी जनकपुर यह भारी होली में।
होली में आए राम ससुरारी होली में ।।
जनकपुर खूब धूम मची है ।
पधारे चारो भाई बात सच्ची है ।।
प्यार में डूबे मची है रारी होली में ।
होली में आए राम ससुरारी होली में ।।
रंग गुलाल सब थाल सजे हैं ।
द्वार द्वार पे होली गीत बजे हैं ।।
खेलन आए नर औ नारी होली में ।
होली में आए राम ससुरारी होली में ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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