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हरि चले हरदर्शन को

हरि चले हरदर्शन को

हर हर महादेव
आज भगवान भोलेशंकर शिवशंभू दीनानाथ भोलेदानी के वैवाहिक वर्षगांठ महाशिवरात्रि की समस्त माताओं बहनों बंधुओं एवं गुरुजनों को सपरिवार हार्दिक सादर बधाई एवं बहुत बहुत शुभकामनाऍं और भगवान शिव शंभू माॅं पार्वती के चरणों में सादर सहृदय प्रणाम ।


हरि चले हरदर्शन को ,
हरि प्रिया को ले साथ ।
हर हर भोले जाप ले ,
जय हे भोले जगन्नाथ ।।
जय जय शिवशंकर भोलेदानी ।
सृष्टि संहारक जगत कल्याणी ।।
भूत पिसाच गणों के तू स्वामी ।
देवों के देव महादेव अंतर्यामी ।।
नाथों के नाथ तुमसे है आत्मा ।
अनाथों के नाथ हो परमात्मा ।।
सर्प बिच्छू सब तेरे ही हैं अंगी ।
बसहा बैल भी तेरे होते संगी ।।
शीश शशि विराजते हैं ये तेरे ।
मेरे भी मिटा दो मन के फेरे ।।
देवों के देव तू ही देवाधिदेवा ।
देव मुनि जन सब करत सेवा ।।
शीर्षोपरि तेरे विराजी हैं गंगा ।
देव दानव लेते न तुमसे पंगा ।।
तुम्हीं पालक तुम ही संहारक ।
मोक्ष विमोक्ष तुम्हीं हो तारक ।।
तुम बिन देवी देव नहीं दूजा ।
देवी देव भी तेरे करते पूजा ।।
तेरी कृपा से साधु संत योगी ।
कृपा विहीन ही होते हैं रोगी ।।
तू आत्मा महात्मा परमात्मा ।
तू है जल थल नभ देवतात्मा ।।
तू है संन्यासी तपस्वी वैरागी ।
तुम्हीं फकीर औघड़ अनुरागी ।।
जलचर थलचर नभचर तू ही ।
धरातल रसातल ऊपर तू ही ।।
मुझपर भी कृपा कर दे बाबा ।
मनोवांछित मुझे वर दे बाबा ।।
सुन लो बाबा विनती तुम मेरी ।
दीन दशा सब अब दे दो फेरी ।।
अरुण दिव्यांश कहे करजोड़ी ।
आस पुरावहु अब बाबा मोरी ।।


उमापति शिवशंकर भोले ,
दीनों के तुम्हीं दीनानाथ ।
दीन हीन की तू रक्षा करो ,
हे प्रभु अनाथों के नाथ ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार
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