Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

शिक्षित होना आगे बढ़ना, लक्ष्य मैंने मान लिया,

शिक्षित होना आगे बढ़ना, लक्ष्य मैंने मान लिया,

ज्ञान मिलेगा जहाँ कहीं से, मैंने पाना ठान लिया।
मात पिता की मजबूरी, विद्यालय नहीं जा पाती,
घर पर रहकर लिखना पढ़ना, उद्देश्य जान लिया।


शिक्षा से बनते ज्ञानवान, माँ ने मुझको बतलाया,
शिक्षित होकर आगे बढ़ते, गुरूजनों ने सिखलाया।
संस्कार संस्कृति क्या, इतिहास भूगोल की बातें हों,
धरती अम्बर और अनल में, छिपा रहस्य दिखलाया।


मैं भारत की बेटी हूँ, कभी नहीं पीछे रहती हूँ,
वेद ऋचाओं में भी देखो, बनी विदुषी रहती हूँ।
अंतरिक्ष तक उड़ान मेरी, कल्पना सी पहचान है,
साहित्य या राजनीति, सदा शिखर पर रहती हूँ।


युद्ध क्षेत्र में मैंने हरदम, अपना परचम फहराया,
लक्ष्मी जैसी वीरांगना बन, नारी साहस दिखलाया।
माँ- पापा की परी हूँ मैं, भैया की प्यारी बहना,
खेलों में भी आगे रहना, दादी ने मुझको समझाया।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ