विवाह
प्रथम महोत्सव जन्म महोत्सव ,द्वितीय महोत्सव होता विवाह ।
दो आत्माओं का बंधन है होता ,
विवाह शादी या कहें निकाह ।।
विवाह जीवन हर्षित है करता ,
विवाह में मिलता विशेष वाह ।
विवाह तभी यह सार्थक होता ,
जब न निकलें मुख से आह ।।
तभी जीवन है सार्थक होता ,
तभी होता सुखमय है जीवन ।
दोनों बनते एक दूजे की नाड़ी ,
प्राप्त होता तब नवजीवन ।।
दोनों एक दूजे की नाड़ी बने ,
दोनों एक दूजे के हैं धड़कन ।
दोनों एक दूजे पे न्यौछावर करे ,
दोनों करे इक दूजे को अर्पण ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
दो आत्माओं का बंधन है होता ,
विवाह शादी या कहें निकाह ।।
विवाह जीवन हर्षित है करता ,
विवाह में मिलता विशेष वाह ।
विवाह तभी यह सार्थक होता ,
जब न निकलें मुख से आह ।।
तभी जीवन है सार्थक होता ,
तभी होता सुखमय है जीवन ।
दोनों बनते एक दूजे की नाड़ी ,
प्राप्त होता तब नवजीवन ।।
दोनों एक दूजे की नाड़ी बने ,
दोनों एक दूजे के हैं धड़कन ।
दोनों एक दूजे पे न्यौछावर करे ,
दोनों करे इक दूजे को अर्पण ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com