मर्यादा पुरुषोत्तम राम की महिमा
दशरथ नंदन राम जी, सद्गुण के भंडार।
जगती भर में हो रही, उनकी जय जयकार।। 1।।
जन्मे त्रेता काल में कौशल्या के लाल।
भरत लक्ष्मण भ्रात थे शत्रुघ्न भी साथ।।2।।
वशिष्ठ गुरु थे आपके दिया वेद का ज्ञान।
विश्वामित्र भी आपको गए सही पहचान।।3।।
ऋषिगण करते आपका अभिनंदन बारंबार ।
देवों के रक्षक बने, किया दुष्ट संहार ।।4।।
सीता जी अर्धांगिनी, बना दिव्य संयोग ।
सांसारिक विषय वासना दूर भगाए भोग।।5।।
ब्रह्म यज्ञ करते रहे, ब्रह्मचर्य के साथ।
दिव्य तेज धारण किया, दोषों का किया नाश।।6।।
परमपिता परमात्मा, सत्ता वही अखंड ।
उसको ही चित धारते , छुआ नहीं पाखंड।।7।।
वेदों के सन्मार्ग को लिया बना निज ध्येय ।
छोड़ दिया था प्रेय को अपनाया था श्रेय।।8।।
प्रचारक थे सत्य के, यही वेद का ज्ञान ।
जो भी आड़े आ गया कर दी उसकी हान ।।9।।
पिता के व्रत संकल्प को लिया हिय में धार ।
प्रसाद समझ धारण किया उनका हर उदगार।।10।।
डॉ राकेश कुमार आर्य
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