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कालिंदी के कूल बैठी

कालिंदी के कूल बैठी

धनंजय जयपुरी
कालिंदी के कूल बैठी
काले काले कुंतलों को
कर से संवारती है
कृष्णप्रिया केशवी।
कृष्ण कृष्ण कृष्ण कृष्ण
कहके कलपती है
कृष्ण को करे पुकार
कृश तनु केशवी।।
कारे कारे नयनों से
कोमल कपोल बीच
नीर झरे आठों याम
कैसे रोके केशवी।
किससे कहे कथा कि
कैसे दिन कटते हैं
केशव के बिना
किस हाल में है केशवी।।
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