Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

हाँ, मैं तुमसे लड़ती हूँ

हाँ, मैं तुमसे लड़ती हूँ

हाँ, मैं तुमसे लड़ती हूँ,
पर तब तक ही
जबतक कि तुम्हें
अपना समझती हूँ।
तुम्हारी उपेक्षा की हद जब बढ़ जायेगी,
मेरे शब्दों पर स्वतः पाबंदी लग जायेगी।
मैं अपनी हद तब पहचान जाऊँगी,
बेहद प्यार के छलावे से बाहर आऊँगी।
हाँ, मैं तुमसे झगड़ती हूँ,
पर तब तक ही
जब तक कि सिर्फ
तुम्हारी राहों पर चलती हूँ।
जब उन राहों में भटकाव मिलेगा,
विश्वास को मेरे अलगाव मिलेगा।
मैं अकेली ही तब निकल पड़ूँगी,
मंजिल तक मैं स्वयं बढूंगी।
डॉ. रीमा सिन्हा
लखनऊ
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ