सीखने को जब मिले, सीख लो,

सीखने को जब मिले, सीख लो,

व्यवहार से दुनिया को, जीत लो।
बताने मे कुछ, थोपना नही होता,
अनर्थ से बचो, ऐसा ज्ञान मीत लो।


जो है हमारा, वह तो हमारे पास है,
जहाँ और जहां मे अन्तर खास है।
बात बिन्दु और चन्द्र बिन्दु की नही,
अर्थ मे छिपा, स्थान और जहान है।


ग़लतियाँ हम आज भी दोहरा रहे,
आदतों से विवश, गलत सजा रहे।
हंस भी लिख देते मुस्कराने के लिये,
और पक्षी को हम हँस लिख बता रहे॥

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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