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मूल से ज्यादा सूद, जगत में प्यारा लगता है,

मूल से ज्यादा सूद, जगत में प्यारा लगता है,

बेटे से ज्यादा दादी को, पोता प्यारा लगता है।
लौटता बचपन दादी का, पोते पोती के साथ में,
पोते को नहलाना उसको, सबसे अच्छा लगता है।
खेलते थे गुड़िया बचपन में, रेत के घरौंदे बनाते थे,
बुढ़ापे में पोता पोती ही, गुड़िया जैसा लगता है।
लगता है जैसे बीता बचपन, बुढ़ापे में लौट आया,
बुढ़ापे को बच्चों सा मचलना, आज अच्छा लगता है।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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