भास्कर चललें मेष में करीं ध्यान-सम्मान।
मार्कण्डेय शारदेय
भास्कर चललें मेष में करीं ध्यान-सम्मान।
स्नान, दान, पूजा करीं, मनो आजु सतुआन।।सातू जौ आ बूँट के , चटनी अउर अँचार।
हरियर मरिचा के सँगे खाईं बड़ मजदार।।
सातू में घीउ दूध आ गुर के करीं मिलान।
घेंवड़ा खाईं प्रेम से, ई ह पहिल नेवान।।
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