बल बुद्धि विद्या वृष्टि, हनुमंत साधना भक्ति से
कलयुग साक्षात देव अनुपमा,भक्तजन सर्व दुःख कष्ट हर्ता ।
अनंत सद्य मंगल फलदायक,
कर्म धर्म मनोरथ पूर्ण कर्ता ।
अंजनी सुत जन्मोत्सव बेला,
सर्वत्र आनंद आराधना स्तुति से ।
बल बुद्धि विद्या वृष्टि, हनुमंत साधना भक्ति से ।।
चैत्र शुक्ल पूर्णिमा अनुपम,
पवन पुत्र अवतरण तिथि ।
उत्सविक प्रभा मानस मंदिर ,
अलौकिक स्पंदन अंतर परिधि ।
संगीतमय पाठ रामेष्ट श्री चरण,
भजन कीर्तन स्वर ओज युक्ति से ।
बल बुद्धि विद्या वृष्टि, हनुमंत साधना भक्ति से ।।
पिता वायु मात अंजनी सह,
भार्या सुवर्चला मोहक उपमा ।
अति शोभित प्रभु राम सेवक,
लक्ष्मण प्राण दाता निरुपमा ।
प्रभा जानकी शोक विनाशन ,
सिय खोज उदधिक्रमण युक्ति से ।
बल बुद्धि विद्या वृष्टि, हनुमंत साधना भक्ति से ।।
विष्णु एकादश अवतार बिंब,
फाल्गुन सुख अनूप छवि ।
अमित विक्रम दिव्य व्यंजना,
पिंगाक्ष नयन वर्ण आभा नवि।
विधिवत पूजन काज बाला जी ,
जीवन सुरभित सुख समृद्धि शक्ति से ।
बल बुद्धि विद्या वृष्टि, हनुमंत साधना भक्ति से ।।
महेन्द्र कुमार
(स्वरचित मौलिक रचना)
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